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जून 15, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संस्कार - मां बाप का गर्व

अजी सुनते हो,बिटिया के लिए अच्छा सा लड़का देखकर इसकी शादी कर दीजिए।आजकल जमाना बहुत खराब है- पत्नी ने अपने पति से चिंता जताते हुए कहा। पति ने भी हामी भरते हुए कहा- हां भाग्यवान!तुम सही कह रही हो,गांव में नारायण दास की बेटी ने भी भागकर शादी कर ली,पूरे गांव में नाक कट गई बेचारे की। नहीं-नहीं हमारी बिटिया ऐसी नहीं है,हमने भला उसे पालने में कोई कमी छोड़ी है,हमने उसे संस्कार दिए है। बरामदे में खड़ी उनकी लाडली बेटी सरोज यह सब सुन रही थी।अरे बेटी!तुम कब आई?पापा ने सकपकाते हुए पूछा। पापा मुझे शादी नहीं करनी!बेटी सरोज ने हिम्मत करते हुए कहा।कमरे में खामोशी छा गई।पापा मुझे वो सब नहीं करना जो एक लड़की हमेशा से करती आई है।मुझे शादी के बन्धन में मत बांधो।मुझे समाज के लिए कुछ करना है,आपका नाम रोशन करना है,मुझे भारत देश का नाम रोशन करना है पापा!सरोज ने एक सांस में सब कुछ बोल दिया। बचपन में जीवों पर दया करने का पाठ पढ़ाने वाली मां व समाज सेवा से ईश्वर प्राप्ति का पाठ पढ़ाने वाले पापा,दोनों अपनी बेटी के मुख से यह बात सुनकर अचंभित रह गए।पापा ने हिम्मत करते हुए कहा-समाज क्या कहेगा बेटी?लोग क्या कहेंग

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