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अग्निपथ का हिंसक विरोध करने वाले देशद्रोही है?

टूर ऑफ ड्यूटी क्या है जिस पर इतना बवाल हो रहा है?

भारत सरकार भारत की सेना में भर्ती होने के इच्छुक जवानों के लिए एक टूर ऑफ ड्यूटी नामक योजना लेकर आई है जिस पर काफी बवाल हो रहा है।इस योजना का नाम अग्निपथ रखा गया है व इसमें भर्ती होने वाले युवाओं को अग्निवीर नाम दिया गया है। 

अग्निपथ योजना



 इसमे बवाल क्यों हो रहा है? 

 इस योजना में अग्निवीर सिर्फ चार साल के लिए ही भर्ती किये जायेंगे व रिटायर होने के बाद पेंसन जैसी सुविधाओ से वंचित रखे जाने के फैसलों से युवा काफी आक्रोश में है।इस योजना में भर्ती होने वाले युवाओं की उम्र सीमा 17.5 से 21 वर्ष की गई जो कि बाद में बढ़कर 23 वर्ष कर दी गई। इन्ही मुद्दों के कारण विभिन्न राज्यों में हिंसक तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुई है जिसमे उत्तरप्रदेश,बिहार,राजस्थान व हरियाणा जैसे राज्य शामिल है।

अग्निवीर हिंसा



 क्या बवाल होना जायज है? 

जी नही! जब बात देश की सुरक्षा की हो तो इसमें बवाल करना गलत व अनैतिक माना जायेगा।बावजूद इसके कुछ विरोधी दलों की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं के चलते इसे अलग तरीके से परिभाषित करके युवाओं को भड़काया गया है।इसमे कुछ दोष सरकार का भी है जिसने पहले से चयनित जवान जिनकी जॉइनिंग नही हुई है,उस पर स्पष्टीकरण न है।

 देश की सीमाओं की सुरक्षा कैसे करेंगे देश की सम्पति को नुकसान करने वाले

 देश की सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा करने की इच्छा रखने वाले युवा जिस तरह देश की सम्पति को नुकसान पहुंचा रहे है वह काफी व्यथित करने वाला है।इस सवाल पर भी प्रश्नचिन्ह लगना जायज है कि ऐसे युवा जो अपने ही टैक्स के पैसों से बनने वाली सम्पति को तोड़फोड़ करेंगे,क्या वह देश की सेवा कर पाएंगे।

इन युवाओं को ये समझना होगा कि केवल सीमा पर लड़ना ही देश सेवा नही है,देश के अंदर उसकी सम्पतियों की रक्षा करना व कानून के दायरे में रहना भी देश सेवा है।देश की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना भी देशद्रोह है।

सरकार कैसे निपटेगी इस बवाल से?

सरकार इस विरोध को गम्भीरता से ले रही है।19 जून को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाध्यक्षों के साथ मन्त्रणा की जिसके बाद सेना ने सयुंक्त बयान जारी किया।इस बयान में सेना ने कहा कि कोचिंग संस्थानों ने युवाओं को उकसाया है।सेना का मानना है कि युवाओं को गलत संदेश दिया गया है ताकि उनके प्रदर्शन से सरकार इस योजना को वापस ले।

क्या है कोचिंग संस्थानों को डर?

जैसा कि हमें भी पता है कि बड़े बड़े कोचिंग संस्थान सेना में भर्ती तैयारी के नाम पर युवाओं से अच्छी खासी फीस वसूलते है।अगर 4 साल की सेना में भर्ती होगी तो पेपर लीक नही करवा पाएंगे।पेपर लीक भी बड़े बड़े कोचिंग संस्थान ही करवाते है।एक आम युवा जो आर्मी में जाने का सपना रखता है उसके पास करोड़ो रूपये नही होते है जिससे वो पेपर लीक करवा पाएं लेकिन यही युवा लाख दो लाख का जुगाड़ कर सकता है।
कोचिंग संस्थान करोड़ो रूपये रिश्वत देकर पेपर खरीदते है व लाख दो लाख एक युवक से लेकर इसे थोक में बेचते है।आगर सरकार अग्निपथ योजना से युवाओं को सेना में भर्ती करेगी तो इन बड़े कोचिंग संस्थानों की दुकानें बंद हो जाएंगी।




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