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बिना खबर अचानक से बाबा रहीम आए जेल से बाहर,प्रेमियों मे खुशी की लहर

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम एक बार फिर से जेल से बाहर आ गए है।डेरा प्रेमियों के बीच आई अचानक से इस खुशी के बारे मे आइए विस्तार से जानते है।    इमेज क्रेडिट: dera sacha sauda official  आज दोपहर को डेरा के official management की तरफ से एक tweet आया जिसमे बताया गया की बाबा राम रहीम सिंह जी इंसा को पेरोल मिली है व बाबा आज बरनावा आश्रम जो की उतरप्रदेश मे स्थित है,वहाँ जा रहे है। जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर पहुंची जंगल मे आग की तरह ये खबर हर तरफ फैल गई। डेरा प्रेमियों को विस्वस नहीं हो रहा था की क्या बाबा सच मे जेल से बाहर आ गए है या ये कोई फेक खबर है। इसकी पुष्टि के लिए डेरा प्रेमी एक दूसरे को फोन करके पूछने लगे तो उन्हे बधाइयाँ मिलनी शुरू हो गई।   इमेज क्रेडिट:derasachasauda.org  बाबा राम रहीम ने शेयर किया विडिओ: इस घटनाक्रम के कुछ समय बाद ही संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा ने एक यूट्यूब विडिओ शेयर किया जिसमे उन्होंने डेरा प्रेमियों से शांति बनाए रखने व डेरा मेनेजमेंट के आदेश को मानने की अपील की।   ऐसा था बाबा राम रहीम इंसा का स्टाइल : काफी दिनों बाद अपने भक्तों से रूबरू हुए राम

अपने एक फैसले से जयदीप डूडी भादरा की राजनीति से हो जाएंगे खत्म

भादरा की प्रधान पद की सियासी हलचल अभी खत्म होने के कगार पर है।अब बाजी निर्दलीय व कांग्रेस के हाथ मे है।सीधे शब्दों में कहें तो जयदीप डूडी के हाथ मे प्रधान पद की चाबी है।अगर जयदीप डूडी ने अपना समर्थन सच मे कॉमरेड के पक्ष में दिया तो उनका राजनीतिक करियर खत्म होने के कगार पर है। जिस तरह का स्टैंड भाजपा ने लिया है वो काबिले तारीफ है।भाजपा ने क्लियर स्टैंड लिया है उनका प्रधान बनेगा तो ठीक नही तो किसी भी निर्दलीय या पार्टी को समर्थन नही देंगे।उनका यह स्टैंड राजनीति के लिहाज से काफी सराहनीय नजर आ रहा है। दूसरी तरफ अगर जयदीप डूडी की बात करें तो अगर वो तटस्थ रहते तो उनका राजनीति में वर्चस्व बना रहता है लेकिन जिस तरह से सुनने में आ रहा है जयदीप ने कामरेड को समर्थन दिया है तो उनका यह कदम आत्मघाती लग रहा है।पिछले विधानसभा चुनाव में कामरेड को समर्थन देना भी इनके राजनीति में सबसे खराब फैसला बताया जाता है। अगर मोटा मोटी बात करें तो बीजेपी अपने पैरों पर खड़ी नजर आ रही है।जयदीप अगर अंतिम पलों में कोई चाल नही चलते है तो उनका राजनीतिक भविष्य अँधेरमय नजर आ रहा है।इसी एक जयदीप के फैसले से कामरेड काफी म

भादरा प्रधान बनने के ये है दावेदार,जानिए क्या कहते है समीकरण

 8 दिसम्बर को आये नतीजों ने भादरा में प्रधान पद की दौड़ को दिलचस्प बना दिया है।माकपा ओर भाजपा ने जहां दस दस सीटों पर कब्जा किया है तो वही काँग्रेस व निर्दलीय 7 पर सिमट गए है।माकपा व भाजपा दोनों के पास बहुमत साबित करने के लिए 4 सीटें कम है।ऐसे में कयास लगाये जा रहे है कि कांग्रेस या निर्दलीय ही प्रधान बन सकता है।जानिए क्या है प्रधान बनने के समीकरण। 1.अगर चारों निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा को समर्थन देते है तो भाजपा अपना प्रधान बना सकती है जो इस बार तो लगभग असम्भव नजर आ रहा है।इस तरह संजीव बेनीवाल के पुत्र करण बेनीवाल इस दौड़ से बिल्कुल बाहर नजर आ रहे है। 2.अगर चारों निर्दलीय प्रत्याशी माकपा को समर्थन देते है या कांग्रेस भी समर्थन देती है तो माकपा अपना प्रधान बना सकती है।इस बार यह समीकरण बनता भी दिख रहा था लेकिन इसमें भी एक झोल है।चारों निर्दलीय माकपा के धुर विरोधी है जिससे यह समीकरण भी फेल होता नजर आ रहा है। 3.इसके अलावा एक समीकरण यह भी नजर आ रहा है कि भाजपा या माकपा जयदीप डूडी को समर्थन देने पर राजी हो जाते है क्योकि जयदीप डूडी के पास चारों निर्दलीयों से भी नजदीकी है।चारों प्रत्याशी भी चु

विधायक बलवान पूनियां के लिये किसान से ज्यादा चुनाव जरूरी,अब बहती गंगा में हाथ धोने चले

आखिरकार किसान आंदोलन को सफल होते देख भादरा विधायक बलवान पूनियां भी इस बहती गंगा में हाथ धोने दिल्ली की तरफ चल पड़े। पंचायत समिति व जिला परिषद के चुनाव सम्पन्न होने के तुरंत बाद बलवान पूनियां ने भादरा से दिल्ली की तरफ रुख कर लिया है।2 दिसम्बर के दिन बलवान पुनियां अपने साथियों के साथ टिकरी बॉर्डर पहुंच चुके है।लोग सोशल मीडिया पर विधायक जी को ट्रोल कर सवाल पूछ रहे है कि चुनाव जरूरी थे या किसान आंदोलन। इस किसान आंदोलन में बलवान पूनियां का इतने दिनों बाद जाना सभी को अखर रहा है।किसान आंदोलन पिछले कई दिनों से चल रहा है लेकिन बलवान पूनियां जो कि एक किसान नेता है,द्वारा इतने दिनों बाद आंदोलन में पहुंचना यह दर्शाता है कि बलवान पुनिया जी अपनी राजनीति चमकाने में लगे है। हमारा यह पोस्ट डालने का यह बिल्कुल मतलब नही है कि हम किसान के हक में नही है या किसान आंदोलन के पक्ष में नही है।हम बिल्कुल खुले मन से किसान आंदोलन का समर्थन करते है लेकिन विधायक बलवान पुनिया द्वारा इस तरह की राजनीति की बिल्कुल आशा नही करते है।  हमारा बलवान पुनिया जी से सीधा सवाल है कि अगर आप सच्चे किसान हितेषी थ

जॉन 14 से पिंकी रानी की जीत के समीकरण क्या है जानिये!

जिला परिषद हनुमानगढ़ के चुनावों में इस बार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भादरा के सभी जॉन में अपने प्रत्याशी उतारे है।23 नवम्बर को चुनाव सम्पन्न हो चुके है लेकिन इसके परिणाम 8 दिसम्बर को आने है।चलिए जानते है जॉन 14 के चुनावी संग्राम के बारे में। जॉन 14 से मौजूदा विधायक बलवान पूनियां भी पार्षद रह चुके है।इस बार कोविड के कारण चुनाव काफी देर से हुए है।माकपा ने इस जॉन से पारस डूडी के नाम पर काफी पहले ही मुहर लगा दी थी।इस बार चुनाव में जब महिला सीट आई तो पारस डूडी की सुपुत्री पिंकी रानी ने ताल ठोकी।शुरुआत में माकपा ने अपने दमदार प्रत्याशी को उतार कर एकतरफा दावेदारी पेश कर दी थी।माकपा के अनुसार यह सीट एकतरफा जीत रही है लेकिन आइये जाने पिंकी रानी की जीत के समीकरण। जॉन 14 में माकपा का दबदबा रहता है क्योकि बलवान पूनियां का यहां दमदार प्रभाव है।इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने अलीशा सुपुत्री पुरुषोत्तम कालीरावणा को अपना प्रत्याशी बनाया।अलीशा को प्रत्याशी बनाने के कई कारण थे जिसमें से एक कारण यह था कि पिंकी रानी काफी शिक्षित प्रत्याशी थी।दूसरा कारण यह भी था कि सागड़ा गांव व अमरपुरा गा

इस शख्स ने बलवान पूनियां से कहा कि गरीब किसान का मजाक मत उड़ाओ विधायक जी!भड़क गए बलवान पुनिया

  भादरा विधायक बलवान पूनियां ने किसान आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों के पक्ष में फेसबुक पर पोस्ट शेयर किया। फेसबुक पर पोस्ट डालते हुए बलवान पूनिया ने अपने साथियों से आग्रह किया कि दिल्ली कूच करने के लिए गांव गांव में राशन सामग्री इकट्ठा करें। इस पोस्ट के कमेंट में आजाद विजय परलिका नामक एक शख्स ने लिखा कि अगर माननीय विधायक अपने 12 महीने के संपूर्ण वेतन को किसान आंदोलन कर रहे  आंदोलनकारियों के लिए दान देते हैं तो वह भी अपनी संपूर्ण खातेदारी जमीन में से पिछले 12 महीने की उपज की बचत के पैसे देने के लिए तैयार हैं। इस कमेंट पर विधायक बलवान पूनिया भड़क गए और उन्होंने फटकार लगाते हुए जो कुछ भी लिखा मैं नीचे इमेज में आप देख सक ते हैं।बलवान पूनियां ने बात को किसान के पक्ष में घसीटते हुए कहा कि जिसकी श्रद्धा हो वही दें। अगर विजय परलीका की बातों का गहराई से मंथन किया जाए तो उन्होंने अपने कमेंट के अंतिम शब्दों पर जोर देते हुए लिखा है कि किसान अगर इतना ही सक्षम होता तो वह आंदोलन क्यो करता।कुछ लोगो ने विजय की इस बात का समर्थन किया है तो कुछ ने इसे गैर वाजिब ठहराया है।आप लोग भी इस बारे में अपनी राय कमेंट

मेरे पापा -कवि अनिल कुमार अमरपुरा,पापा पर कविता

मेरी मंजिल के रास्ते पर, जो दिख रही सफाई है! सच बताऊं, मेरे पापा ने वहां सालों से झाड़ू लगाई है!! मत देखो मेरे कदमों के छालों को, जीता हूं जो मैं जिंदगी की ये दौड़, सच बताऊं, वो दौड़ भी मेरे पापा ने लगाई है!! कवि- अनिल कुमार अमरपुरा