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जॉन 14 से पिंकी रानी की जीत के समीकरण क्या है जानिये!

जिला परिषद हनुमानगढ़ के चुनावों में इस बार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भादरा के सभी जॉन में अपने प्रत्याशी उतारे है।23 नवम्बर को चुनाव सम्पन्न हो चुके है लेकिन इसके परिणाम 8 दिसम्बर को आने है।चलिए जानते है जॉन 14 के चुनावी संग्राम के बारे में।
जॉन 14 से मौजूदा विधायक बलवान पूनियां भी पार्षद रह चुके है।इस बार कोविड के कारण चुनाव काफी देर से हुए है।माकपा ने इस जॉन से पारस डूडी के नाम पर काफी पहले ही मुहर लगा दी थी।इस बार चुनाव में जब महिला सीट आई तो पारस डूडी की सुपुत्री पिंकी रानी ने ताल ठोकी।शुरुआत में माकपा ने अपने दमदार प्रत्याशी को उतार कर एकतरफा दावेदारी पेश कर दी थी।माकपा के अनुसार यह सीट एकतरफा जीत रही है लेकिन आइये जाने पिंकी रानी की जीत के समीकरण।

जॉन 14 में माकपा का दबदबा रहता है क्योकि बलवान पूनियां का यहां दमदार प्रभाव है।इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने अलीशा सुपुत्री पुरुषोत्तम कालीरावणा को अपना प्रत्याशी बनाया।अलीशा को प्रत्याशी बनाने के कई कारण थे जिसमें से एक कारण यह था कि पिंकी रानी काफी शिक्षित प्रत्याशी थी।दूसरा कारण यह भी था कि सागड़ा गांव व अमरपुरा गांव दोनों पड़ोसी गांव है जिससे आसपास के गांवों में पिंकी रानी का एकतरफा दबदबा ना रह पाए और लोकल प्रत्याशी होने का फायदा माकपा को न मिल पाए।

यहां तक तो सबकुछ पिंकी रानी के पक्ष में चल रहा था।लेकिन बीच मैदान में कांग्रेस एंट्री मारती है और ओमप्रकाश कारेला की धर्मपत्नी बिमला देवी को अपना प्रत्याशी चुनती है।यहां से माकपा के प्रत्याशी का एकतरफा दबदबा कमजोर होना शुरू होता है।कामरेड पिंकी रानी और अलीशा की तरह ही कांग्रेस भी अपना दमदार प्रत्याशी उतार कर इस चुनाव को रोचक बना देती है।
इस बार चुनाव भले ही त्रिकोणीय ना हो लेकिन एकतरफा बिल्कुल भी नही है।पिंकी रानी और अलीशा के बीच कांटे की टक्कर नजर आ रही है।अगर कांग्रेसी वोटरों ने अपने वोट कांग्रेस के पक्ष में डाले तो भाजपा प्रत्याशी एकतरफा जीतती नजर आ रही है।लेकिन अगर कांग्रेस के वोट बंट जाते है और कॉमरेड के पक्ष में आते है तो माकपा प्रत्याशी पिंकी रानी की जीत पक्की नजर आती है।इस तरह से लोकल लोगों का मानना है कि कांग्रेस जिस बल बैठेगी जीत उसी बल होगी यानी अगर कांग्रेसी वोट माकपा के पक्ष में आते है तो पिंकी रानी एक नम्बर रहेगी या तीसरे स्थान पर रहेगी।
कांग्रेस इस रेस में कहीं नजर नही आती है लेकिन इस चुनाव में जीत हार का कारण जरूर बनेगी। अब मतदान हो चुका है तो प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम मशीनों में कैद है।अब तो 8 दिसंबर को ही पता चल पाएगा कि किसकी किस्मत चमकती है।
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