आजकल भादरा की राजनीति का स्तर बिल्कुल गिरता जा रहा है।आज तक भादरा की राजनीति का स्तर कभी इतना नही गिरा जितना इन दिनों गिरा हुआ है।हाल में चिड़िया गांधी में हुई गोकशी ने भादरा की राजनीति में उथल पुथल मचाने की कोशिश की है।11 जुलाई को हुई इस घटना की एफएसएल रिपोर्ट ने सारी अफवाहों पर विराम लगा दिया और साबित कर दिया गोकशी हुई है।
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प्रशासन ने बताया था कि गोकशी नही हुई है
जिस दिन यह घटना हुई उस दिन प्रशासन यह पुष्टि नही कर पाया कि यह गाय का वंश था या पाड़ा या बकरा था।हालांकि घटना के बारे में बताने वाली महिला रो रोकर बता रही थी कि मैंने अपनी आंखों से गाय कटती देखी है।प्रशासन के संज्ञान में मामला आने पर यह बताया गया कि मामला प्रथम दृष्टया पाड़ा या बकरे का लग रहा है।अफवाह फैलाने पर उचित कार्रवाई करने की सूचना दे दी गई थी।
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जिस दिन यह मामला पूर्व विधायक संजीव बैनीवाल के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत प्रभाव से एसपी व डीएसपी को बुलाया व एफएसएल रिपोर्ट की मांग की।अब सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैलाई जा रही है कि संजीव बैनीवाल ने इस मामले में कोई सक्रियता नही दिखाई।यह सब मौजूदा विधायक को दोष देना चाहिए लेकिन दोष पूर्व विधायक को दिया जाना बहुत कुछ बयां कर रहा है।भादरा की राजनीती में इस तरह का स्तर बहुत दुखी करने वाला है।पिछले दिनों हुई एक पत्रकार वाले मामले में भी पूर्व विधायक जी को लपेटने की कोशिश की गई।उस पत्रकार वाली घटना में पूर्व विधायक का रवैया काफी काबिले तारीफ रहा था उसी तरह इस मामले में जिस शांति के साथ संजीव बैनीवाल ने सक्रियता दिखाई वह एक मंझे हुए राजनेता की तरह नजर आए है।संजीव बैनीवाल चाहते तो इस मामले को धार्मिक तूल देकर व ओछी राजनीति करके धरना प्रदर्शन करवा सकते थे लेकिन उन्होंने दंगे न हो ऐसा रवैया अपनाकर शांति से मामले से निपटने का तरीका निकाला जो काफी काबिले तारीफ रहा है।इस सबके बावजूद पूर्व विधायक पर आरोप लगाना दर्शाता है कि अड़ो धड़ो संजीव बैनीवाल पर पड़ो।