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भादरा प्रधान बनने के ये है दावेदार,जानिए क्या कहते है समीकरण

 8 दिसम्बर को आये नतीजों ने भादरा में प्रधान पद की दौड़ को दिलचस्प बना दिया है।माकपा ओर भाजपा ने जहां दस दस सीटों पर कब्जा किया है तो वही काँग्रेस व निर्दलीय 7 पर सिमट गए है।माकपा व भाजपा दोनों के पास बहुमत साबित करने के लिए 4 सीटें कम है।ऐसे में कयास लगाये जा रहे है कि कांग्रेस या निर्दलीय ही प्रधान बन सकता है।जानिए क्या है प्रधान बनने के समीकरण। 1.अगर चारों निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा को समर्थन देते है तो भाजपा अपना प्रधान बना सकती है जो इस बार तो लगभग असम्भव नजर आ रहा है।इस तरह संजीव बेनीवाल के पुत्र करण बेनीवाल इस दौड़ से बिल्कुल बाहर नजर आ रहे है। 2.अगर चारों निर्दलीय प्रत्याशी माकपा को समर्थन देते है या कांग्रेस भी समर्थन देती है तो माकपा अपना प्रधान बना सकती है।इस बार यह समीकरण बनता भी दिख रहा था लेकिन इसमें भी एक झोल है।चारों निर्दलीय माकपा के धुर विरोधी है जिससे यह समीकरण भी फेल होता नजर आ रहा है। 3.इसके अलावा एक समीकरण यह भी नजर आ रहा है कि भाजपा या माकपा जयदीप डूडी को समर्थन देने पर राजी हो जाते है क्योकि जयदीप डूडी के पास चारों निर्दलीयों से भी नजदीकी है।चारों प्रत्याशी भी चु

विधायक बलवान पूनियां के लिये किसान से ज्यादा चुनाव जरूरी,अब बहती गंगा में हाथ धोने चले

आखिरकार किसान आंदोलन को सफल होते देख भादरा विधायक बलवान पूनियां भी इस बहती गंगा में हाथ धोने दिल्ली की तरफ चल पड़े। पंचायत समिति व जिला परिषद के चुनाव सम्पन्न होने के तुरंत बाद बलवान पूनियां ने भादरा से दिल्ली की तरफ रुख कर लिया है।2 दिसम्बर के दिन बलवान पुनियां अपने साथियों के साथ टिकरी बॉर्डर पहुंच चुके है।लोग सोशल मीडिया पर विधायक जी को ट्रोल कर सवाल पूछ रहे है कि चुनाव जरूरी थे या किसान आंदोलन। इस किसान आंदोलन में बलवान पूनियां का इतने दिनों बाद जाना सभी को अखर रहा है।किसान आंदोलन पिछले कई दिनों से चल रहा है लेकिन बलवान पूनियां जो कि एक किसान नेता है,द्वारा इतने दिनों बाद आंदोलन में पहुंचना यह दर्शाता है कि बलवान पुनिया जी अपनी राजनीति चमकाने में लगे है। हमारा यह पोस्ट डालने का यह बिल्कुल मतलब नही है कि हम किसान के हक में नही है या किसान आंदोलन के पक्ष में नही है।हम बिल्कुल खुले मन से किसान आंदोलन का समर्थन करते है लेकिन विधायक बलवान पुनिया द्वारा इस तरह की राजनीति की बिल्कुल आशा नही करते है।  हमारा बलवान पुनिया जी से सीधा सवाल है कि अगर आप सच्चे किसान हितेषी थ

जॉन 14 से पिंकी रानी की जीत के समीकरण क्या है जानिये!

जिला परिषद हनुमानगढ़ के चुनावों में इस बार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भादरा के सभी जॉन में अपने प्रत्याशी उतारे है।23 नवम्बर को चुनाव सम्पन्न हो चुके है लेकिन इसके परिणाम 8 दिसम्बर को आने है।चलिए जानते है जॉन 14 के चुनावी संग्राम के बारे में। जॉन 14 से मौजूदा विधायक बलवान पूनियां भी पार्षद रह चुके है।इस बार कोविड के कारण चुनाव काफी देर से हुए है।माकपा ने इस जॉन से पारस डूडी के नाम पर काफी पहले ही मुहर लगा दी थी।इस बार चुनाव में जब महिला सीट आई तो पारस डूडी की सुपुत्री पिंकी रानी ने ताल ठोकी।शुरुआत में माकपा ने अपने दमदार प्रत्याशी को उतार कर एकतरफा दावेदारी पेश कर दी थी।माकपा के अनुसार यह सीट एकतरफा जीत रही है लेकिन आइये जाने पिंकी रानी की जीत के समीकरण। जॉन 14 में माकपा का दबदबा रहता है क्योकि बलवान पूनियां का यहां दमदार प्रभाव है।इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने अलीशा सुपुत्री पुरुषोत्तम कालीरावणा को अपना प्रत्याशी बनाया।अलीशा को प्रत्याशी बनाने के कई कारण थे जिसमें से एक कारण यह था कि पिंकी रानी काफी शिक्षित प्रत्याशी थी।दूसरा कारण यह भी था कि सागड़ा गांव व अमरपुरा गा

इस शख्स ने बलवान पूनियां से कहा कि गरीब किसान का मजाक मत उड़ाओ विधायक जी!भड़क गए बलवान पुनिया

  भादरा विधायक बलवान पूनियां ने किसान आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों के पक्ष में फेसबुक पर पोस्ट शेयर किया। फेसबुक पर पोस्ट डालते हुए बलवान पूनिया ने अपने साथियों से आग्रह किया कि दिल्ली कूच करने के लिए गांव गांव में राशन सामग्री इकट्ठा करें। इस पोस्ट के कमेंट में आजाद विजय परलिका नामक एक शख्स ने लिखा कि अगर माननीय विधायक अपने 12 महीने के संपूर्ण वेतन को किसान आंदोलन कर रहे  आंदोलनकारियों के लिए दान देते हैं तो वह भी अपनी संपूर्ण खातेदारी जमीन में से पिछले 12 महीने की उपज की बचत के पैसे देने के लिए तैयार हैं। इस कमेंट पर विधायक बलवान पूनिया भड़क गए और उन्होंने फटकार लगाते हुए जो कुछ भी लिखा मैं नीचे इमेज में आप देख सक ते हैं।बलवान पूनियां ने बात को किसान के पक्ष में घसीटते हुए कहा कि जिसकी श्रद्धा हो वही दें। अगर विजय परलीका की बातों का गहराई से मंथन किया जाए तो उन्होंने अपने कमेंट के अंतिम शब्दों पर जोर देते हुए लिखा है कि किसान अगर इतना ही सक्षम होता तो वह आंदोलन क्यो करता।कुछ लोगो ने विजय की इस बात का समर्थन किया है तो कुछ ने इसे गैर वाजिब ठहराया है।आप लोग भी इस बारे में अपनी राय कमेंट

मेरे पापा -कवि अनिल कुमार अमरपुरा,पापा पर कविता

मेरी मंजिल के रास्ते पर, जो दिख रही सफाई है! सच बताऊं, मेरे पापा ने वहां सालों से झाड़ू लगाई है!! मत देखो मेरे कदमों के छालों को, जीता हूं जो मैं जिंदगी की ये दौड़, सच बताऊं, वो दौड़ भी मेरे पापा ने लगाई है!! कवि- अनिल कुमार अमरपुरा

हुलिया-एक सच्ची कहानी_अनिल कुमार अमरपुरा

आज राजू बहुत ही उदासी से घर आ रहा था।आज उसकी सबसे अच्छी दोस्त आदिति के कुछ शब्दों ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था।आज आदिति ने कहा कि राजू तेरा हुलिया मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। घर आकर राजू ने हाथ मुंह धोया व एक अच्छे से हेयर सैलून कि खोज में चल पड़ा।चलते चलते वह सोच रहा था कि चाहे हजारों रुपए क्यूं न लग जाए पर उसे अपना चेहरा चमकाकर कल ही अदिति को दिखाना है।राजू बीते दिनों को याद करने लगा कि कैसे अदिति उसे एक अच्छी लड़की लगी।तभी राजू को याद आया कि अरे! मैंने तो आदिती को झूठ बोला था कि वह बेरोजगार है ताकि एक दिन वह आदिति को सच्चाई बताकर माफी मांग लेगा।राजू ने सोचा था कि वह जब बताएगा की वह 27 हजार की सैलरी पाता है और कुछ दिनों में उसका प्रमोशन भी होने वाला है तो आदिति काफी खुश होगी। इतना सोचते सोचते वह कब सैलून पर पहुंच गया पता ही नहीं चला।वह सैलून में घुसा और चेयर पर बैठ गया।इतने में राजू को एक छोटा लड़का भीख मांगते हुए सैलून में घुसता दिखा जिसे धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया। अचानक से राजू कुर्सी से खड़ा हुआ व सैलून से बाहर निकल गया।कोई कुछ समझ पाता इससे पहले वह काफी आगे निकल चुका थ

एक सच्चे पुलिस वाले का हश्र-by अनिल कुमार अमरपुरा

रमेश की बीवी ने ड्यूटी के लिए जा रहे अपने पति से कहा-आज अपने गोलू का जन्मदिन है,शाम को घर जल्दी आ जाना।ओर हां एक बढ़िया सा केक भी लेते आना।रमेश दो साल पहले ही तो पुलिस में लगा था,आज वह सुबह सुबह अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए मुड़ा ही था कि उसकी बीवी के द्वारा गोलू के जन्मदिन को याद करते हुए ठिठका। ओह हा!आज अपना गोलू पूरा एक साल का हो गया है।जब रमेश का पुलिस में सलेक्शन हुआ था तो सावित्री के साथ उसका चट मंगनी पट ब्याह हो गया था। इन दो सालों में क्या कुछ नहीं गुजरा,उसकी मां सांस की बीमारी में लाखों रुपए लगने के बाद भी गुजर गई।पिता जी भी मां के जाने के बाद दवाइयों पर जी रहे है।बहन की शादी के बाद खुद की शादी का कर्ज भी कितना हो गया है।यह सब याद करते हुए रमेश घर से बाहर अपनी जीप की तरफ चला। रमेश ने इस चिंता के साथ जीप स्टार्ट की कि शाम को केक कैसे लाएगा?इस तनख्वाह से उसके पिता की दवाइयां,घर का खर्च ही मुश्किल से चल रहा है।कर्जदार भी तो घर के चक्कर काट रहे है। गोलू के जन्मदिन का केक लाने के लिए मिश्रा जी से कुछ पैसे उधार लेने की सोच से वह पुलिस स्टेशन की तरफ चल रहा था कि रस्ते में उसन