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हुलिया-एक सच्ची कहानी_अनिल कुमार अमरपुरा

आज राजू बहुत ही उदासी से घर आ रहा था।आज उसकी सबसे अच्छी दोस्त आदिति के कुछ शब्दों ने उसे अंदर तक झकझोर दिया था।आज आदिति ने कहा कि राजू तेरा हुलिया मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।
घर आकर राजू ने हाथ मुंह धोया व एक अच्छे से हेयर सैलून कि खोज में चल पड़ा।चलते चलते वह सोच रहा था कि चाहे हजारों रुपए क्यूं न लग जाए पर उसे अपना चेहरा चमकाकर कल ही अदिति को दिखाना है।राजू बीते दिनों को याद करने लगा कि कैसे अदिति उसे एक अच्छी लड़की लगी।तभी राजू को याद आया कि अरे! मैंने तो आदिती को झूठ बोला था कि वह बेरोजगार है ताकि एक दिन वह आदिति को सच्चाई बताकर माफी मांग लेगा।राजू ने सोचा था कि वह जब बताएगा की वह 27 हजार की सैलरी पाता है और कुछ दिनों में उसका प्रमोशन भी होने वाला है तो आदिति काफी खुश होगी।
इतना सोचते सोचते वह कब सैलून पर पहुंच गया पता ही नहीं चला।वह सैलून में घुसा और चेयर पर बैठ गया।इतने में राजू को एक छोटा लड़का भीख मांगते हुए सैलून में घुसता दिखा जिसे धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया।
अचानक से राजू कुर्सी से खड़ा हुआ व सैलून से बाहर निकल गया।कोई कुछ समझ पाता इससे पहले वह काफी आगे निकल चुका था।राजू सीधा किरयाने की दुकान पर जाकर बोला की मुझे 100 पैकेट बिस्कुट व आधा आधा लीटर की 100 दूध की थैलियां चाहिए।दुकानदार ने कहा कि दूध की थैलियों के लिए उसे आधा घंटा इंतजार करना पड़ेगा।राजू ने हामी भरी व कहा कि वह घर से बाइक लेकर आए तब तक इन्हे पैक कर देना।कुल मिलाकर इकतीस सौ रुपए चुकता करके राजू बाइक लेने चला गया।
घर जाकर उसने अपने सबसे प्यारे दोस्त को फोन करके तुरन्त पहुंचने का कहा।उसका दोस्त पांच मिनट में उसके पास आया तो राजू ने उसे अपने पीछे बाइक पर बैठने का इशारा किया।उसका दोस्त पूछ रहा था कि राजू क्या हो गया?इतने में राजू ने कहा रुक तो सही सब समझाता हूं।किरयाने की दुकान पर जाते ही दुकानदार ने बताया की सब सामान तैयार है।राजू ने बाइक की टंकी पर एक कार्टन रखते हुए अपने दोस्त को कहा कि वह बाकी बचे सामान को पीछे रख ले।बिना कोई सवाल किए उसके दोस्त ने वह सामान पीछे रखा व राजू चल पड़ा।
राजू ने सावधानी से बाइक चलाते हुए झुग्गी झोपड़पट्टियों के सामने जाकर रुक गया व अपने दोस्त से बोला की कोई भी आए एक दूध की थैली व एक पारले जी बिस्कुट उनको बांट दे।करीब आधा घंटा बाद उसके दोस्त ने कहा कि हम लगभग दूध व बिस्कुट बांट चुके है अब कुछ फोटो ले लेते है ताकि वो इन्हे सोशल मीडिया पर डाल सके।राजू ने एक अजीब सी मुस्कान के साथ कहा की अगर दिखावा ही करना होता तो सैलून से क्यों आता?राजू समझ चुका था कि असली खूबसूरती चेहरे में नहीं बल्कि इंसानियत में है। सभी झुग्गियों वाले उसे दुआएं दे रहे थे।असलियत में आज राजू का हुलिया सबसे खूबसूरत लग रहा था।
लेखक-अनिल कुमार अमरपुरा

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